“अष्टांगह्रदयम् (Ashtang Hirdyam) (सूत्रस्थान)” द्वारा ब्रह्मानंद त्रिपाठी
“अष्टांगह्रदयम्” एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है, जिसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता के सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ आचार्य vagbhata द्वारा रचित है और आयुर्वेद के आठ अंगों (अष्टांग) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
सूत्रस्थान (Sutrasthan) भाग का वर्णन:
- आधारभूत सिद्धांत: सूत्रस्थान अष्टांगह्रदयम् का पहला भाग है जिसमें आयुर्वेद की मूलभूत सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। इसमें जीवन के सिद्धांत, स्वास्थ्य और बीमारियों के कारण, और जीवन शैली की दिशा-निर्देश शामिल हैं।
- पंचमहाभूत और त्रिदोष: इस भाग में पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) के तत्वों की विस्तार से चर्चा की गई है और यह कैसे शरीर में स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
- रोग और उपचार: रोगों के कारण, लक्षण, और उनके उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह भाग चिकित्सकों को रोगों की पहचान और उनका उपचार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- आयुर्वेदिक उपचार और विधियाँ: विभिन्न आयुर्वेदिक उपचार विधियाँ और औषधियों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसमें नाड़ी परीक्षण, पंचकर्म और आहार-विहार संबंधी निर्देश शामिल हैं।
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