**अद्भुत रामायण** पंडित हरिहर प्रसाद त्रिपाठी द्वारा व्याख्यायित एक विशिष्ट महाकाव्य है, जो चौखंबा संस्कृत सीरीज ऑफिस द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित है और इसमें 27 सर्ग हैं, जो पारंपरिक रामायण के 7 कांडों (बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और उत्तर कांड) से भिन्न हैं【21†source】【23†source】।
इस ग्रंथ में कई अनोखी और रोचक कथाएँ हैं, जैसे कि नारद द्वारा विष्णु को शाप देने का कारण और राजा अंबरीष की कथा, जो श्रीराम के पूर्वजों में से एक थे। इसमें सीता के जन्म का भी विशेष उल्लेख है, जिसमें उसे रावण की पत्नी मंदोदरी की संतान के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो पारंपरिक मान्यताओं से अलग है। इसके अलावा, परशुराम और राम के बीच का संघर्ष और राम द्वारा परशुराम को उनके अहंकार से मुक्त करने का प्रसंग भी इसमें शामिल है【24†source】【25†source】।
यह पुस्तक संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है, और इसे चौखंबा, काशी द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह रामायण का एक अनोखा संस्करण है, जो पारंपरिक रामायण की कहानियों से अलग और अधिक रहस्यमय घटनाओं का वर्णन करता है, जिससे इसका नाम “अद्भुत रामायण” सार्थक होता है【22†source】।
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