शक्तिसङ्गमतन्त्रम् (Sri Shakti Sangam Tantra) (1-4) आचार्य राधेश्याम चतुर्वेदी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण तंत्रशास्त्र ग्रंथ है। यह ग्रंथ शक्तिपूजा और तंत्रविद्या पर आधारित है और इसमें शक्तिसंगम तंत्र के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक का विवरण (हिंदी में):
नाम: शक्तिसङ्गमतन्त्रम् (शक्तिसंगम तंत्र) (1-4)
लेखक: आचार्य राधेश्याम चतुर्वेदी
भाषा: हिंदी
विषय: तंत्रशास्त्र, शक्तिपूजा, तंत्रविद्या
पुस्तक की विशेषताएँ:
- तंत्रशास्त्र का अध्ययन: इस पुस्तक में शक्तिसंगम तंत्र के विभिन्न तंत्रशास्त्रीय पहलुओं की विस्तृत व्याख्या की गई है। यह तंत्र की धार्मिक, आध्यात्मिक और व्यवहारिक दृष्टियों को स्पष्ट करता है।
- शक्तिपूजा: पुस्तक में शक्तिपूजा की विधियाँ और उनके आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिससे पाठक इस विधि को सही तरीके से समझ और लागू कर सकें।
- तंत्रविद्या: ग्रंथ में तंत्रविद्या की गहराई से जानकारी दी गई है, जिसमें तंत्र के विभिन्न मंत्र, यंत्र, और अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है।
शक्तिसङ्गमतन्त्रम् उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो तंत्रशास्त्र और शक्तिपूजा में गहरी रुचि रखते हैं और जो तंत्रविद्या के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होना चाहते हैं।
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