कुण्डलिनी साधना प्रसंग” एक महत्वपूर्ण और गहन तात्त्विक विषय है जो योग और तंत्र परंपरा में कुण्डलिनी शक्ति के जागरण और उसकी साधना से संबंधित है। कुण्डलिनी साधना का उद्देश्य व्यक्ति के भीतर छुपी हुई दिव्य ऊर्जा को जागृत करना और उसकी आध्यात्मिक प्रगति को साकार करना है।
“कुण्डलिनी साधना प्रसंग” का विवरण निम्नलिखित है:
- कुण्डलिनी शक्ति: कुण्डलिनी शक्ति एक प्रकार की दिव्य ऊर्जा है जो मनुष्य के स्पाइनल कॉलम के आधार (मूलाधार चक्र) में स्थित होती है। इसे एक लातिन सांप के रूप में वर्णित किया जाता है जो कुंडली की स्थिति में होती है। साधना के माध्यम से इस शक्ति को जाग्रत किया जाता है।
- साधना का उद्देश्य: कुण्डलिनी साधना का मुख्य उद्देश्य इस दिव्य ऊर्जा को जागृत करना और इसे शरीर के ऊर्जा चक्रों (चक्रों) के माध्यम से ऊपर की ओर उठाना है। जब यह ऊर्जा सिर के चक्र (सहस्त्रार चक्र) तक पहुँचती है, तो व्यक्ति का आत्मिक विकास और उच्च आत्मज्ञान प्राप्त होता है।






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