लघु-योगरत्नाकार” (Laghu-Yogaratnakara) एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है जो औषध विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और रोग निदान पर केंद्रित है। इस ग्रंथ का रचयिता वाग्भट्ट माना जाता है, जो एक प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे।
“लघु-योगरत्नाकार” में विभिन्न रोगों के उपचार, औषधियों की विधियाँ और स्वास्थ्य से संबंधित उपायों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में कई प्रकार की चिकित्सा विधियाँ, जैसे पंचकर्म, कायाकल्प, और सामान्य चिकित्सा का विवरण शामिल है। इसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, रस-रसायनों, और अन्य औषधीय पदार्थों का उपयोग और उनके गुणों का भी उल्लेख है।






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