“गुणरत्नमाला” एक प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ है जिसे आयुर्वेद के विद्वान् श्रीयुत सोमेश्वराचार्य द्वारा लिखा गया माना जाता है। यह ग्रंथ आयुर्वेदिक औषधियों के गुण, उनके उपयोग और उनके चिकित्सा प्रभावों पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु:
1. **औषधियों के गुण**: गुणरत्नमाला में विभिन्न औषधियों के गुण और उनके प्रभाव का विस्तृत वर्णन है। इसमें औषधियों के प्रमुख गुण, जैसे कि उनके तात्त्विक गुण और प्रभावकारी गुण, का उल्लेख किया गया है।
2. **औषधि प्रयोग**: यह ग्रंथ औषधियों के प्रयोग की विधियों और उनके विभिन्न रोगों पर प्रभाव को स्पष्ट करता है।
3. **संविधान**: गुणरत्नमाला में आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार औषधियों का वर्गीकरण और उनकी चिकित्सा विधियों का समावेश होता है।
4. **प्रभावकारी औषधियाँ**: इसमें उन औषधियों का वर्णन है जो विशेष रूप से प्रभावकारी मानी जाती हैं और विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में उपयोगी हैं।
गुणरत्नमाला आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है और इसके अध्ययन से चिकित्सक औषधियों के गुण और उनके प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।






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