**सारसिद्धांत कौमुदी** श्री वरदराज द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो संस्कृत व्याकरण का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ का उद्देश्य संस्कृत व्याकरण के सिद्धांतों को सरल और सुगम बनाना है। पंडित चिरंजीवी अधिकारी द्वारा इस ग्रंथ का हिंदी अनुवाद और टिप्पणी की गई है, जिससे हिंदी पाठकों को भी इसका लाभ मिल सके।
इस ग्रंथ में कुल 712 पृष्ठ हैं और इसे चौखम्बा सुरभारती ग्रंथमाला द्वारा प्रकाशित किया गया है। ग्रंथ में संस्कृत के श्लोकों के साथ-साथ उनका हिंदी में विस्तृत व्याख्या दी गई है, जिससे पाठक व्याकरण के जटिल सिद्धांतों को आसानी से समझ सकते हैं【51†source】【52†source】।
यह ग्रंथ संस्कृत के विद्वानों और छात्रों के लिए एक अमूल्य स्रोत है, जो उन्हें व्याकरण के गहरे अध्ययन में सहायता प्रदान करता है। इस ग्रंथ में वर्णित सिद्धांत प्राचीन व्याकरण परंपराओं पर आधारित हैं और इसे समझने के लिए हिंदी अनुवाद एक उपयोगी संसाधन साबित होता है।
इस पुस्तक को आप विभिन्न पुस्तक विक्रेताओं के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि एक्सोटिक इंडिया आर्ट और वेदिक बुक्स【51†source】【52†source】।






Geeta press
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.