“प्रयोग सास्त्रार्थ कला” श्री वेणीमाधव शुक्ला का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्कृति है। वेणीमाधव शुक्ला ने इस ग्रंथ में भारतीय संगीत की प्राचीन विधियों, तत्वों, और प्रयोगों का विस्तृत विवेचन किया है।
“प्रयोग सास्त्रार्थ कला” में भारतीय संगीत के सिद्धांतों और विधियों की व्याख्या की गई है, जो उनके समीप विद्यालयीन अनुभव और शोध के आधार पर की गई है। इस ग्रंथ में संगीत के विभिन्न आयामों, जैसे कि राग, ताल, लय, ध्रुपद, ख्याल, थुमरी, और गातकी के प्रायोगिक और सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन किया गया है।
वेणीमाधव शुक्ला ने “प्रयोग सास्त्रार्थ कला” में भारतीय संगीत के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और तकनीकों को विस्तारपूर्वक विवरण किया है, जो संगीत प्रेमियों और शिक्षार्थियों के लिए एक मूल्यवान संस्थान है।






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